Jab umeedein dhua dhua udd gayi ...
Jab waqt hi tham sa gaya ...
Mera andar ki aawaaz bhi sunai nahi de rahi ...
Ek aisa suroor mujhpe cha gaya ...
Mein chal pada ek raah pakade
Na pata kaunsi manjil ki talaash mein
Aa agar chalna hai saath mere
Aa chalein khud ko dhundne ki aas mein.
खुद की तलाश !
----------------
जब उम्मीदें धुआं धुआं उड़ गयी
जब वक़्त ही थम सा गया ..
मेरे अंदर की आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही
एक ऐसा सुरूर मुझ पे छा गया !
में चल पड़ा एक राह पकडे
ना पता कौनसी मंजिल की तलाश में.
आ अगर चलना है साथ मेरे
आ चलें खुद को ढूंढ़ने की आस में !
-- राकेश यादव
१६ जून २०१२
Jab waqt hi tham sa gaya ...
Mera andar ki aawaaz bhi sunai nahi de rahi ...
Ek aisa suroor mujhpe cha gaya ...
Mein chal pada ek raah pakade
Na pata kaunsi manjil ki talaash mein
Aa agar chalna hai saath mere
Aa chalein khud ko dhundne ki aas mein.
खुद की तलाश !
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जब उम्मीदें धुआं धुआं उड़ गयी
जब वक़्त ही थम सा गया ..
मेरे अंदर की आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही
एक ऐसा सुरूर मुझ पे छा गया !
में चल पड़ा एक राह पकडे
ना पता कौनसी मंजिल की तलाश में.
आ अगर चलना है साथ मेरे
आ चलें खुद को ढूंढ़ने की आस में !
-- राकेश यादव
१६ जून २०१२